Sun. Apr 20th, 2025

कृषि के लिए उपजाऊ जमीन के अलावा खाद और पानी की भी आवश्यकता होती है।

यह हैं- कानून व्यवस्था, पर्याप्त बिली अपूर्ति, लैंड बैंक कनेक्टिविटी और व्यापार सुगमता की बेहतर स्थिति आदि। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के फौरन बाद ही इन सभी मोर्चों पर एक साथ कार्य शुरू किया। हालांकि यह सब उनको विरासत में नहीं मिला। बावजूद इसके उनके प्रयास सफल हुए। पिछला कार्यकाल स्वर्णिम रहा। इनवेस्टर्स समिट ने मजबूत इमारत तैयार की। हजारों करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों का शिलान्यास हुआ। दूसरा कार्यकाल भी इस दिशा में नई इबारत लिख रहा है। उनपर कार्य प्रगति पर है। योगी सरकार यूपी को देश की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में बढ़ रही है। ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट इस यात्रा का सर्वाधिक शानदार पड़ाव साबित होने वाला है। अभी तक करीब दो दर्जन देश आगे आ चुके हैं। नीदरलैंड, डेनमार्क, सिंगापुर, यूनाइटेड किंगडम और मॉरीशस ने यूपी के पार्टनर कंट्री होंगे। दुनिया के औद्योगिक निवेशकों को समिट में आमंत्रित करने के लिए प्रदेश सरकार 18 देशों एवं भारत के सात प्रमुख नगरों में कूच कर चुकी है। यह नए उत्तर प्रदेश की पहचान है। आज प्रदेश ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में यूपी की प्रगति शानदार है।

 योगी सरकार ने ईज ऑफ स्टार्टिंग बिजनेस पर भी फोकस किया है। विद्युत इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ किया गया है। नए विद्युत उत्पादन संयंत्रों तथा विद्युत सब स्टेशनों की स्थापना की गई है। सभी जनपदों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति की जा रही है। औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए लैंड बैंक के माध्यम से पर्याप्त भूमि उपलब्ध है। इसके लिए नई ऑनलाइन प्रणाली ‘निवेश सारथी’ 24 घंटे मदद के लिए तैयार है। ऑनलाइन इन्सेंटिव मैनेजमेंट सिस्टम भी मदद के लिए तैयार है। सिंगल विंडो ‘निवेश मित्र’ पोर्टल समयबद्ध स्वीकृति एवं अनापत्ति उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा हूं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन यूएस डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने आगामी पांच वर्ष में प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट इसका बड़ा प्लेटफार्म होगा। वैश्विक औद्योगिक परिदृश्य को यूपी में अनुकूल वातावरण प्रदान करने का मुकम्मल इंतजाम किया गया है।

प्रदेश में आईटी आईटीईएस, डेटा सेंटर, ईएसडीएम, डिफेंस एवं एयरोस्पेस, इलेक्ट्रिक वाहन, वेयर हाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स, पर्यटन, टेक्सटाइल, एमएसएमई सहित विभिन्न क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने के लिए लगभग 25 नीतियां तैयार की हैं। इनके माध्यम से औद्योगिक विकास के लिए समग्र पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दिशा में अनेक सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं। उत्तर प्रदेश की नई औद्योगिक नीति एक विकल्प आधारित मॉडल प्रदान करती है। यह उत्पादन, रोजगार एवं निर्यात को प्रोत्साहित करती है। सर्कुलर इकोनॉमी, इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स तथा ग्रीन हाइड्रोजन सहित नए क्षेत्रों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश सरकार की नीतियों के अन्तर्गत मुख्यतः राज्य में उद्योग विशिष्ट उत्कृष्टता केंद्र अर्थात सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस, अनुसंधान एवं विकास और परीक्षण सुविधाओं की स्थापना के लिए निवेश को प्रोत्साहित किया गया है। राज्य सरकार ने इस संकल्प की पूर्ति के लिए अटल इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन का शुभारम्भ किया है। उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान को लागू करने वाले अग्रणी राज्यों में से एक है। इसके अन्तर्गत परियोजना नियोजन के लिए महत्वपूर्ण पैंतालीस से अधिक लेयर्स को एकीकृत कर लिया है।

वाराणसी से हल्दिया तक लगभग 1100 किलोमीटर लंबा जलमार्ग राज्य में पहले से ही संचालित है। समुद्री बंदरगाहों पर निर्यात होने वाले माल के आवागमन को सुविधाजनक बनाने के लिए, प्रदेश सरकार ड्राई पोर्ट्स के विकास को बढ़ावा दे रही है। उत्तर प्रदेश में मौजूदा लॉजिस्टिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में मुरादाबाद रेलमंडल से जुड़े संयुक्त घरेलू एवं एक्जिम टर्मिनल, कानपुर में रेलमार्ग से जुड़े निजी फ्रेट टर्मिनल तथा इनलैंड कंटेनर डिपो, दादरी टर्मिनल पर इनलैंड कंटेनर डिपो सम्मिलित हैं। वाराणसी में एक मल्टी-मोडल टर्मिनल तथा गाजीपुर राजघाट,रामनगर वाराणसी एवं प्रयागराज टर्मिनल्स पर राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या एक के किनारे विभिन्न फ्लोटिंग टर्मिनल संचालित हैं। दादरी गौतमबुद्धनगर में मल्टी मोडल लॉजिस्टिक्स हब एवं बोराकी में मल्टी-मोडल ट्रांसपोर्ट हब भी विकसित किया जा रहा है।

वाराणसी में 100 एकड़ भूमि में भारत का पहला ‘फ्रेट विलेज’ विकसित हो रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के निर्यात केन्द्रों को पूर्वी भारत के बंदरगाहों से जोड़ने वाला यह गांव इनबाउंड व आउटबाउंड कार्गाे के लिए ट्रांस-शिपमेंट हब के रूप में कार्य करेगा। उत्तर प्रदेश, देश का एकमात्र राज्य है, जिसके पांच शहरों में मेट्रो रेल सुविधा उपलब्ध है। आगरा में मेट्रो रेल भी जल्द दौड़ने वाली है। राज्य में कृषि एवं खाद्य-प्रसंस्करण तथा डेयरी सेक्टर में अपार अवसर हैं। उत्तर प्रदेश भारत में खाद्यान्न, दूध तथा गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक है। प्रदेश एथेनॉल उत्पादन में भी देश में प्रथम स्थान पर है। उत्तर प्रदेश के पास एमएसएमई क्षेत्र का सबसे बड़ा बेस है। वर्तमान में राज्य में लगभग नब्बे लाख एमएसएमई इकाइयां हैं। यह देश में सर्वाधिक हैं। एमएसएमई क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी 75 जनपदों के लिए परम्परागत एवं विशिष्ट उत्पाद चिह्नित कर ‘एक जनपद एक उत्पाद’ योजना लागू की है।

पर्यटन भी यहां महत्वपूर्ण सेक्टर है। यह निवेशकों के लिए प्रमुख गंतव्य हो सकता है। सरकार रामायण सर्किट, कृष्ण सर्किट, बुद्धिस्ट सर्किट, वाइल्ड लाइफ एवं ईको टूरिज्म सर्किट, बुन्देलखण्ड सर्किट, महाभारत सर्किट, शक्तिपीठ सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, सूफी सर्किट, क्राफ्ट सर्किट जैसे अनेक पर्यटन गंतव्यों का विकास कर रही है। स्टार्टअप इंडिया रैंकिंग में भारत सरकार द्वारा राज्य को ‘लीडर स्टेट्स’ की श्रेणी में वर्गीकृत किया है। प्रदेश में ‘स्टार्टअप इंडिया’ के अन्तर्गत अब तक करीब अस्सी से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत किए गए हैं। छह उत्कृष्टता केंद्र स्वीकृत हो चुके हैं। नोएडा में आईआईटी जीएनएल, बरेली में मेगा फूड पार्क, उन्नाव में ट्रांसगंगा सिटी, गोरखपुर में प्लास्टिक पार्क, गोरखपुर में ही गारमेंट पार्क तथा अनेक फ्लैटेड फैक्टरी परिसरों का विकास किया जा रहा है।

 

 

 

 

 

 

 

 

SOURCE: dailyhunt.in

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