Thu. Apr 17th, 2025

Haryana Vidhan Sabha Chunav: हरियाणा में कांग्रेस को बीच चुनाव के बीच ही ऐसा लगने लगा है कि उसके जीतने की प्रबल संभावना है. तभी तो उसकी तरफ से सीएम रेस के दावेदारों के नाम मीडिया में आने शुरू हो गए हैं.

Haryana Elections: हरियाणा में 'सत्‍ता विरोधी लहर' का कहीं रिवर्स गियर न लग जाए, खुश न हो कांग्रेस!

Haryana Politics: हरियाणा में कांग्रेस को बीच चुनाव के बीच ही ऐसा लगने लगा है कि उसके जीतने की प्रबल संभावना है. तभी तो उसकी तरफ से सीएम रेस के दावेदारों के नाम मीडिया में आने शुरू हो गए हैं. कई बार आत्‍मविश्‍वास में सामने वाली चीज नहीं दिखती. ऐसा ही कांग्रेस के साथ भी हो सकता है. ये सही है कि पहलवान-किसान बीजेपी से नाराज है और 10 वर्षों से सत्‍ता पर काबिज पार्टी के खिलाफ सत्‍ता विरोधी लहर है. इन सारी बातों के बावजूद दो ऐसे फैक्‍टर हैं जो कांग्रेस से जीत के मौके को छीन सकते हैं.

इनेलो: अभय चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल को पिछले बार केवल एक सीट पर ही कामयाबी मिली. वह ऐलानाबाद से जीते. बाद में किसान आंदोलन के दौरान इस्‍तीफा दे दिया. उपचुनाव में भी जीते. इनेलो का वोटबैंक जाट समुदाय है. पिछले बार ये वोटबैंक इनेलो से छिटककर जजपा में चला गया था. अभय के भतीजे दुष्‍यंत चौटाला की इस पार्टी पर पिछली बार लोगों ने भरोसा दिखाया. 10 सीटें मिलीं और दुष्‍यंत डिप्‍टी सीएम बने. किसान आंदोलन में कहीं नहीं दिखे लिहाजा इस बार उनके खिलाफ माहौल है. ये बात समझते हुए उनकी पार्टी के सात विधायकों ने चुनावों से पहले ही साथ छोड़ दिया. कुछ कांग्रेस या बीजेपी से अबकी बार लड़ रहे हैं. दुष्‍यंत को भी अपनी गलती का अहसास है.

बहरहाल इनेलो का पूरा प्रयास इस बार कम से कम जजपा के लेवल तक पहुंचने का है. इसके लिए अभय चौटाला ने मायावती की बसपा से भी गठबंधन किया है. जाट-दलित वोटबैंक के जरिए वो अपनी पार्टी के खड़े होने का सपना देख रहे हैं. दुष्‍यंत ने चंद्रशेखर आजाद की पार्टी के साथ समझौता किया है. कुल मिलाकर कहने का आशय ये है कि जजपा की कीमत पर इनेलो को जितना इस बार लाभ होगा उतना ही कांग्रेस को नुकसान होगा क्‍योंकि ये संभव है कि बीजेपी से नाराज जाट वोटर कांग्रेस की तरफ शिफ्ट न होकर इनेलो की तरफ लौट सकता है. इससे इनेलो को लाभ होगा और कांग्रेस को नुकसान.

आप: जब कांग्रेस और आप का गठबंधन नहीं हो पाया तभी ये कहा जाने लगा था कि कांग्रेस को बड़ी सेंधमारी का सामना करना पड़ सकता है. इसका कारण ये है कि दिल्ली से लेकर गोवा, मध्य प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और राजस्थान के चुनाव नतीजों से कांग्रेस को यह पता लग चुका है कि जहां भी कांग्रेस पहली या दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर चुनाव मैदान में होगी, वहां आप की एंट्री कांग्रेस का पूरा खेल बिगाड़ देगी. दरअसल, कांग्रेस समझ गई है कि आम आदमी पार्टी का वोट बैंक वही है, जो कांग्रेस का वोट बैंक है. ऐसे में दोनों के बीच मतों का बंटवारा तीसरे को बड़ा फायदा देने वाला है.

यही कुछ गोवा, मध्य प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और राजस्थान जैसे राज्य के हालिया विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला. लोकसभा चुनाव के दौरान जब कांग्रेस और आप मिलकर भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ रही थी तो भाजपा को इसका नुकसान कई राज्यों में उठाना पड़ा. लेकिन विधानसभा चुनाव में यह गठबंधन चल नहीं पाया और आप-कांग्रेस ने हरियाणा में अलग-अलग चुनाव लड़ने की ठान ली.

सत्‍ता विरोधी लहर का उल्‍टा असर
उत्तराखंड और पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान यही तस्वीर साफ देखने को मिली थी. कांग्रेस पंजाब में जहां सत्ता में थी, वहीं भाजपा उत्तराखंड में सरकार चला रही थी. ऐसे में दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतरी. पंजाब में कांग्रेस सरकार में थी, ऐसे में आप ने वहां कांग्रेस को ज्यादा नुकसान किया और वहां वह कांग्रेस को हटाकर सत्ता में काबिज हो गई. हालांकि, वहां भाजपा का जनाधार नाम मात्र का रहा है. ऐसे में वहां भाजपा के साथ दोनों ही पार्टियों का मुकाबला सीधे तौर पर नहीं था. दूसरी तरफ भाजपा उत्तराखंड में लंबे समय से शासन में थी और लोगों को लग रहा था कि सत्ता विरोधी लहर की वजह से इस बार कांग्रेस को जनता चुन सकती है. लेकिन, हुआ इसके उलट. कांग्रेस को तो यहां झटका लगा ही, आम आदमी पार्टी के ज्यादातर उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए और अंततः भाजपा ने इस राज्य में अपना दबदबा कायम रखा.

अब गोवा और गुजरात के चुनाव नतीजों पर नजर डालें तो पता चलेगा कि इन राज्यों में भी भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर थी और कांग्रेस को लग रहा था कि दोनों राज्यों में वह सरकार के गठन में कामयाब होगी. लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं पाया. आम आदमी पार्टी की एंट्री ने गोवा और गुजरात दोनों ही जगह कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाया. गुजरात में तो भाजपा ने इतने बड़े बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की थी, जिसके बारे में उसने सोचा ही नहीं था. वहीं, गोवा में भी भाजपा सरकार बनाने में कामयाब रही और इसकी सबसे बड़ी वजह कांग्रेस के वोट बैंक में आम आदमी पार्टी का सेंध लगाना ही था.

अब राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव नतीजों पर गौर करते हैं. राजस्थान और मध्य प्रदेश में आप ने अपनी ताकत तो झोंकी, लेकिन वह सारी सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रही थी. ऐसे में कांग्रेस के खिलाफ जिन सीटों पर आप ने उम्मीदवार उतारे थे, वहां कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा और भाजपा को बढ़त मिली. इसका नतीजा ये रहा कि मध्य प्रदेश में भाजपा की वापसी हुई और राजस्थान में कांग्रेस के हाथ से सत्ता निकलकर भाजपा की झोली में जा गिरी.

इस सब में जो सबसे चौंकाने वाले नतीजे थे, वह छत्तीसगढ़ से आए थे, जहां सारे सर्वे के आंकड़े उस समय इस बात की गवाही दे रहे थे कि कांग्रेस पार्टी की राज्य की सत्ता में एक बार फिर से वापसी हो सकती है. हालांकि चुनाव के नतीजे ने सबको चौंका दिया और कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक विश्लेषकों ने यह मान लिया कि यहां भाजपा को मिली प्रचंड जीत के पीछे आम आदमी पार्टी ही थी. जिसने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई थी.

News taken from – Zee News

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